दिल्ली की कुर्सी का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है. राजनीति की ये कहावत भले पुरानी हो गई है लेकिन है अब भी सटीक.
इस बार उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच हुए ऐताहासिक गठबंधन को महागठबंधन कहा गया.
जातिगण समीकरणों के आधार पर राजनीतिक विश्लेषकों ने कयास लगाए कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजय रथ को कहीं रोका जा सकता है तो वो यूपी ही है.
वहीं, दूसरी ओर सबसे ज़्यादा चर्चा पश्चिम बंगाल की रही जहां बीजेपी ने अपनी पूरी ताक़त झोंक दी.
2014 में उत्तर प्रदेश में बीजेपी गठबंधन ने 80 में से 73 सीटों पर जीत हासिल की थी.
महागठबंधन से मिल रही चुनौती को देखते हुए यहां बीजेपी को नुक़सान होने के कयास लगाए जा रहे थे.
बीजेपी नेताओं से जब इस बारे में सवाल किया जाता तो वो कह देते कि हम इस बार पश्चिम बंगाल में अच्छा कर रहे हैं.
अगर सुबह दस बजे तक के रुझानों को देखा जाए तो एक ओर जहां यूपी में बीजेपी को बहुत भारी नुक़सान होता नहीं दिख रहा है वहीं, पश्चिम बंगाल में पार्टी ऐतिहासिक बढ़त हासिल करती हुई नज़र आ रही है.
सुबह दस बजे तक के चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश की 80 में से कुल 79 सीटों के रुझान आए जिनमें बीजेपी 57 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है.
वहीं, बहुजन समाज पार्टी को 11 और समाजवादी पार्टी को 8 सीटों पर बढ़त थी.
सबसे दिलचस्प मुक़ाबला अमेठी में है जहां शुरुआती रुझानों में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को पीछे छोड़ दिया है. हालांकि, कांटे की टक्कर बनी हुई है.
इस बार उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच हुए ऐताहासिक गठबंधन को महागठबंधन कहा गया.
जातिगण समीकरणों के आधार पर राजनीतिक विश्लेषकों ने कयास लगाए कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजय रथ को कहीं रोका जा सकता है तो वो यूपी ही है.
वहीं, दूसरी ओर सबसे ज़्यादा चर्चा पश्चिम बंगाल की रही जहां बीजेपी ने अपनी पूरी ताक़त झोंक दी.
2014 में उत्तर प्रदेश में बीजेपी गठबंधन ने 80 में से 73 सीटों पर जीत हासिल की थी.
महागठबंधन से मिल रही चुनौती को देखते हुए यहां बीजेपी को नुक़सान होने के कयास लगाए जा रहे थे.
बीजेपी नेताओं से जब इस बारे में सवाल किया जाता तो वो कह देते कि हम इस बार पश्चिम बंगाल में अच्छा कर रहे हैं.
अगर सुबह दस बजे तक के रुझानों को देखा जाए तो एक ओर जहां यूपी में बीजेपी को बहुत भारी नुक़सान होता नहीं दिख रहा है वहीं, पश्चिम बंगाल में पार्टी ऐतिहासिक बढ़त हासिल करती हुई नज़र आ रही है.
सुबह दस बजे तक के चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश की 80 में से कुल 79 सीटों के रुझान आए जिनमें बीजेपी 57 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है.
वहीं, बहुजन समाज पार्टी को 11 और समाजवादी पार्टी को 8 सीटों पर बढ़त थी.
सबसे दिलचस्प मुक़ाबला अमेठी में है जहां शुरुआती रुझानों में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को पीछे छोड़ दिया है. हालांकि, कांटे की टक्कर बनी हुई है.
- लोकसभा चुनाव 2019 नतीजे: मोदी की BJP 300 के करीबपश्चिमी उत्तर प्रदेश की दो अहम सीटों मुज़फ़्फ़रनगर और बाग़पत से चौधरी अजीत सिंह और उनके बेटे चौधरी जयंत सिंह पीछे चल रहे थे. मथुरा से बीजेपी भी हेमा मालिनी आरएलडी के उम्मीदवार से आगे चल रहीं थीं.
वहीं त्रिकोणीय मुक़ाबले वाली सहारनपुर सीट से बहुजन समाज पार्टी के हाजी फ़ज़लुर्रहमान आगे चल रहे थे.
मुरादाबाद सीट से समाजवादी पार्टी के एसटी हसन भी आगे चल रहे थे. कैराना,नगीना,बिजनौर, संभल, अमरोहा और मेरठ से महागठबंधन के ही उम्मीदवार आगे चल रहे थे.
रामपुर से समाजवादी पार्टी के आज़म ख़ान आगे चल रहे हैं.
अलीगढ़, आगरा, बुलंदशहर, गाज़ियाबाद, गौतमबुद्धनगर (नोएडा) और बरेली से भाजपा के उम्मीदवार आगे हैं.
आज़मगढ़ से अखिलेश यादव, वाराणासी से नरेंद्र मोदी और मैनपुरी से मुलायम सिंह यादव आगे हैं.
इलाहाबाद से रीता बहुगुणा जोशी भी आगे चल रही हैं. वहीं सुल्तानपुर से मेनका गांधी इस बार पीछे चल रही है.
वहीं फ़िरोज़ाबाद सीट से अक्षय यादव पीछे चल रहे हैं. बदायुं से धर्मेंद्र यादव भी पीछे चल रहे हैं. 2014 में ये दोनों सी सीटें समाजवादी पार्टी ने जीती थीं.
पश्चिम बंगाल में बीजेपी 2014 में जीती गईं दो सीटों से 14 तक पहुंचती दिख रही है. पिछली बार आसनसोल से जीतने वाले बाबुल सुप्रियो इस बार भी जीतते दिख रहे हैं. बीजेपी ने पिछली बार दार्जीलिंग सीट जीती थी. यहां से इस बार भी बीजेपी ही आगे है. इसके अलावा अलीपुरद्वार, बहरामपुर, बानगांव, बांकुरा, बर्धमान दुर्गपुर, बिशनपुर, हुगली, झारग्राम, मालदा दक्षिण, मेदिनीपुर, पुरुलिया, रायगंज, रानाघाट, सीटों से बीजेपी आगे है. हालांकि, ये शुरुआती रुझान हैं जिनमें बदलाव हो सकता है.
वहीं पश्चिम बंगाल की 42 में से कुल 39 सीटों के रुझान सुबह दस बजे तक आए. इनमें से 24 पर तृणमूल कांग्रेस और 14 बीजेपी एवं 1 पर कांग्रेस आगे थी.
बीजेपी ने 2014 में पश्चिम बंगाल में सिर्फ़ दो ही सीटों पर जीत हासिल की थी और इस बार पार्टी को यहां बड़ा उलटफेर करने की उम्मीदें थीं जो अब सही साबित होती दिख रही हैं.
तृणमूल और बीजेपी के बीच बेहद कांटे का मुकाबला देखने को मिल रहा है.
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